

डॉ. रूपा गुप्ता
डॉ रूपा गुप्ता ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली से पी-एच. डी. और वर्द्धमान विश्वविद्यालय से डी. लिट. की उपाधियाँ अर्जित की हैं। भारतीय नवजागरण उनकी विशेषज्ञता का क्षेत्र रहा है। पिछले तीन दशकों में उन्होंने हिंदी नवजागरण के गहन अध्ययन के साथ बंगला-नवजागरण पर नए दृष्टिकोण से विचार किया है।
उनकी प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें हैं --'साहित्य और विचारधारा', 'भारतेंदु एवं बंकिमचंद्र', 'हिंदी और बंगला नवजागरण', 'औपनिवेशिक शासन: 19वीं शताब्दी और स्त्री-प्रश्न', 'खुदीराम बोस', 'अज्ञेय और प्रकृति' एवं '19वीं सदी का औपनिवेशिक भारत: नवजागरण और जाति-प्रश्न', 'बंकिमचंद्र के हिंदी में राधामोहन गोकुल की अप्राप्य रचनाएँ', 'सुभद्रा कुमारी चौहान ग्रंथावली' और 'नज़ीर अकबराबादी रचनावली' का संकलन व संपादन भी किया है।
'गुलाम', 'गौरव पाया फिर से', 'कलकत्ता बंदरगाह का संक्षिप्त इतिहास' के अनुवाद और संपादन में उन्होंने दासों, कुष्ठरोगियों और श्रमिकों के निर्माण, निर्वासन और निरीहता की पीड़ा को प्रस्तुत किया है।
महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित।
फिलहाल वर्द्धमान विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल में हिंदी की प्रोफेसर हैं।